स्वास्थ्य प्रतिज्ञा
डॉ. शशी पाटिल रोज सुबह 4 बजे योग क्लास लेते थे, उस समय वे अपने सभी स्वास्थ्य सधाकों से यह प्रतिज्ञा करवाते थे..!
हे स्वास्थ्य गुरुजी,
मैं आप के साथ कुदरत के नियमों में, जीवन जीने को तैयार हूँ।
मैं स्वास्थ्य का खोजी हूँ। मेरा प्रमुख लक्ष्य स्वास्थ्य ही है। मेरे लिए स्वास्थ्य ही सबकुछ है।
मैं जरूर जीवन का एक खलासी हूँ। मगर निरामय स्वास्थ्य का तलासी हूँ।
मैं स्वास्थ्य के लिए, जो आप कहे वही करूंगा। मेरी ब्यूटी के लिए यही मेरी डयूटी रहेगी ।
शरीर ही मेरा लंगोटीयार है। पूरा शरीर एकसंघ है। आखरी दम तक शरीर मुझे साथ करेगा।
स्वास्थ्य ही मेरा जंक्शन स्टेशन है। यहाँ से मैं, कही भी सफलता से यात्रा कर सकता हूँ।
मैं उपचार के नियमों में सहयोग देने के लिए तैयार हूँ।
मैं जानता हूँ, मेरी हर कृती और मेरी सुस्पष्ट वाणी, कुल-मिलके मेरा स्वास्थ्य का ही निचोड है।
कुदरत इमानदार है, मेरा शरीर भी इमानदार है, मगर मैं इमानदार नहीं था। मेरी गलतियाँ, मेरी मजबुरियाँ, मेरी बेहोशी, मेरी आदतें, मेरा अज्ञान, मेरा आलस्य, यही मेरी बेईमानी थीं। जिससे आज का वर्तमान क्षण चला आया, यहीं उसका परिणाम हैं।
गुरुजी, हम स्वास्थ्य साधक बनकर, स्वइच्छा से सहयोग देंगे।
गुरुजी, मैं वादा करता हूँ। मैं हूँ ही नकलाकार, आप कहे वैसा ले लूँ आकार। नक्कल अस्सल दोहराऊंगा। अक्कल पूरी लगा दूँगा ।
मैं ऐरा गैरा छात्र नहीं । एकलव्य का वारस हूँ ।
अन्य नकलाकारों से सरस हूँ ।
गुरुजी, मैं कबसे तरस रहा था ।
मुझे जल्दी जल्दी स्वास्थ्य मिलें ।
आप के संकेतों के ईशारे, मेरे लिए काफी है।
आप कह कर देखो, पुतला बनो तुम । मैं नहीं हिलूँगा।
आप कह कर देखो, बंदर बनो तुम । पकापकाया अन्न, मैं नहीं खाऊँगा।
आप कहे वैसी, कसरत करूँगा।
आप कहे वैसे, उच्छवास छोडूँगा।
आप पर मेरा पूरा विश्वास है।
हर कृती में उच्छवास छोडूँगा।
तोडूँगा तोडूँगा, रोग से नाता तोडूँगा।
जोडूंगा जोडूँगा, फटी तकदीर जोडूँगा।
हिला दूँगा, हिला दूँगा,
रोग से रसद को, जड से हिला दूँगा।
हर क्षण, हर पल, मैं हूँ ही पूरा सतर्क।
आलस्य और अज्ञान, मेरे लिए ही एक वितर्क।
आँखे कृती जानने के लिए...
उन्हें बीच बीच में खोलूँगा, आँखे मिटाके तुरंत ही,
बहते ऊर्जा को रोखूँगा।
मेरा दुश्मन ही है, आलस्य और अज्ञान।
गुरुजी, मुझे अब हुआ है ज्ञान।
लगातार सामना, लगाकर बाण
दिया अभिवाचन ये झुका के मान।