दस दिशाओं को दंडवत

  ए दसदिशाओं

क्या की मेरी दशा

हे पूर्वेश्‍वरा विश्‍वेश्‍वरा

लो ये मोह और माया

जो तूने मुझे दिया,

कर दे बोझमुक्त मुझे

ले लो दंडवत मेरी ओर से...

हरिः ॐ

  हे दक्षिणेश्‍वर, अब हो सावधान

तूने क्या की मेरी दुर्दशा

लो ये कामना और वासना

जो तूने मुझे दिया

रख अपना माल अपने पास

ले लो ये दंडवत मेरी ओर से

हरी ॐ

  हे पश्‍चिमेश्‍वर,

तू भी थोडी कृपा कर

क्या की मेरी दुर्दशा

लो ये आसूया और मत्सर

अपना माल अपने पास

अब ये है दंडवत तेरे लिए

हरिः ॐ

 हे उत्तरेश्‍वरा, जाग जावो सत्वर

तूने क्या की दुर्दशा मेरी

लो अपना क्रोध और अहंकार

कर बोझमुक्त मुझे

ये है दंडवत तेरे लि...

हरिः ॐ

   ये वसुंधरे, धरती माते

ये मेरा मिट्टी का घडा

बोझ मेरा तेरी पीठ पर

झगजोड दो हिलाकर

भारमुक्त कर मुझे

भयमुक्त कर मुझे

ये है दंडवत तेरे लिये...

हरिः ॐ

 ओ मेरे माताश्री पिताश्री

आप ने मुझे जनम देकर

पाला पोसा बढाया पढाया

ये है दंडवत आप के लिए...

हरिः ॐ

  ये प्रभुरूप गुरुदेवा

अमृतरूप दुवा दिया

इष्ट ज्ञान देकर

तूने मुझे खडा किया

जिससे आनंदकुंज तक

मैं चला आया

ये है दंडवत, ये है धन्यवाद आप के लिए...

हरिः ॐ

  ए प्रखर तेजोमय सूर्य देवा

भर दिया नसनस में तूने ऊर्जा मेवा

प्रार्थना मेरी यदि स्वीकार होती

मुख पर आती ये अमोल ज्योती

ये है दंडवत तुझे मेरी ओर से

हरिः ॐ

  हे प्रभो

सबको सन्मती दे भगवन्

सब फुले फलें, सब को स्वास्थ्य मिले

सभी सुखी हो, आनंदी हो, ऐश्‍वर्य में डोले

सबका भला हो, कल्याण हो, रक्षण हो

  हे प्रभो

तू मुझमें माध्यम बन

दया क्षमा करुणा शांति मुझमें भर

पीडितों पर, दुखितों पर

उपचार करने की क्षमता

मेरे वाणी में, मेरे बाहों में,

मेरे विचारों में और मेरी कलम में आने दे...

हरिः ॐ तत्सत

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