आनंदकुंज संकल्प प्रार्थना

आनंदकुंज स्वास्थ्य विचार

क्रांति अभियान

इसको करने दे

युग निर्माण

हर मनुज देवता बने

बने यह पहाड, स्वर्ग समान

यही संकल्प हमारा ॥धृ.॥

द्वेष, दंभ, छल मिटे यहाँ पर

ना कोई भ्रष्टाचारी हो,

सभी सुखी हो, सबका हित हो,

जन जन पर उपकारी हो

मिल जुल कर सब रहे प्रेम से

प्रेम से दे, सबको सम्मान ॥1॥

भेद भाव हो दूर यहाँ

ना कोई मजदूर, ना कोई मालिक,

ना कोई वैद्य, ना कोई मरीज,

परमपिता के पुत्र सभी हम

नाता है, भाई भाई का

सब ही है एक समान

सभी जन ईश्‍वर के संतान॥2॥

सदाचार अपनाए सब जन

बनें प्रभु का साजदार

अनाचार से नाता तोडें

नैतिक बने, उदार बनें

सादा बने जीवन सभी का

फैले फिर सज्ञान ॥3॥


आनंदकुंज शांति पाठ

प्रभुजी, शांति कीजिए... शांति कीजिए... शांति कीजिए...

प्रभुजी, त्रिभुवन में शांति कीजिए ॥धृ.॥

जल में, स्थल में और गगन में

अंतरिक्ष में, अग्नि और पवन में

औषधी, वनस्पति और उपवन में

सकल-विकल, जड - चेतन में

शांति कीजिए... शांति कीजिए... शांति कीजिए...

प्रभुजी, त्रिभुवन में शांति कीजिए ॥1॥

शांति विश्‍व निर्माण सर्जन में

नगर ग्राम और भवन में

आनंदकुंज, शिवाम्बू माहौल में

जीव मात्र के तन मन में

और जगत के हर कण कण में

शांति कीजिए... शांति कीजिए

प्रभुजी, त्रिभुवन में शांति कीजिए ॥धृ॥


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