वंदनीय स्वास्थ्यप्रेरकांचे विचार
“पृथ्वी को जितना समुद्रका आधार है, उतना ही आधार मानवदेह को ‘स्वमूत्र’ का है। पृथ्वी के निर्माण तथा जीवन में समुद्रका जो स्थान है, मानव देह मे वह स्थान स्वमूत्रका है और जैसे सभी महाभूतों को आत्मसात करने की शक्ती जल में है, वैसे शरीर में रहे हुए सभी तत्त्वोको आत्मसात करने की शक्ती उसके मूत्र में है।''
रावजीभाई म. पटेल