गुरुजी का आशीर्वाद
ओ सफरवाले, सफर करना
पैल तीर को तुझे छुना ॥धृ.॥
हर क्षण हर पल यहाँ तो
नित्य नूतन की महिमा
है यही कुदरत की गरिमा
राह में ...
आँधी तुफान
हो खाई या पहाड
लगाते दहाड
तू चलना ... ॥1॥
मंझिल की जिक्र तुझे होना
कभी तू फिक्र ना करना
बीच बीच में कसौटी लेने तेरी
बदले कुदरत तो, करवट ही अपना
ओ सफरवाले - सफर करना
पैल तीर को तुझे छूना ॥2॥